Tuesday, November 9, 2010

पैसे के लिए ६० दिन में पैदा कर दिए बच्चे

कोई महिला नौ महीने की प्रेगनेंसी के बाद बच्चे को जन्म देती है, लेकिन बिहार में सरकारी योजना के पैसे के बंदरबांट के लिए अजीबोगरीब कहानी गढी गई। वहां कागज पर दिखाया गया है कि 298 महिलाओं ने 60 दिन के अवधि में दो से पांच बच्चों को जन्म दिया। नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, जब कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो सरकार की जननी सुरक्षा योजना के तहत उसे करीब 1,000 रूपए दिए जाते है, लेकिन पाया गया है कि 298 महिलाओं को इस योजना के तहत 6.6 लाख रूपए का भुगतान किया गया। दिखाया यह गया कि उन्होंने 60 दिनों के अंदर दो से पांच तक बच्चों को जन्म दिया। कैग रिपोर्ट 2009 के अनुसार, ये अनियमितताएं साल 2008-09 के दौरान भागलपुर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, किशनगज और नालंदा जिलो में पाई गई। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अपने बच्चे को दूध पिलाने वाली हजारों माताओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका।(source:sumansa.com)

Tuesday, October 5, 2010

कंडोम का बढ़ता क्रेज

अमेरिकी किशोरों को आज से पहले सेक्स के दौरान लापरवाही बरतने के लिए ही जाना जाता रहा है।लेकिन अमेरिका में  एक सर्वेक्षण में यह पता चला है कि बात जब अपने पार्टनर से सेक्स करने की हो तो अमेरिकी युवा कंडोम को खासी प्राथमिकता देते है। सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि 40 से अधिक आयु वर्ग के लोग सेक्स के दौरान कंडोम को ज्यादा प्राथमिकता नहीं देते हैं।
इंडियाना विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने सेक्स पर यह अध्ययन किया है .हाल के 20 वर्षो में हुआ यह अमेरिका का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। 5865 अमेरिकी नागरिकों पर हुए इस सर्वेक्षण में पता चला है कि कंडोम के इस्तेमाल को लेकर हिस्पैनिक और अश्वेत अमेरिकी सबसे आगे हैं। वहीँ गोरे अमेरिकी नागरिक सेक्स के दौरान कंडोम के इस्तेमाल को उतनी तवज्जो नहीं देते।(source:bhaskar.com)

मुसीबत बनी बैगी पैंट

अमेरिका में बैगी पैंट का फैशन मुसीबत बनता जा रहा है। इसे लेकर अब समाज में हिंसा फैलने तक की नौबत आ गई है। न्यूयार्क में एक व्यक्ति ने दो किशोरों से कहा कि वे अपनी बैगी पैंट कमर से ऊपर खिसका लें। उन्‍होंने बार-बार कहने पर भी यह बात नहीं मानी तो व्‍यक्ति को गुस्‍सा आ गया और उसने गोलियां चला दी। बैगी पैंट कमर से काफी नीचे कर पहनी जाती है। अमेरिकी समाज का एक तबका इसे फूहड़पन मानता है। कई राज्‍यों में औपचारिक तौर पर बैगी पैंट को प्रतिबंधित करने तक की पहल शुरू हो चुकी है।
बैगी पैंट से दूसरी तरह की समस्‍याएं भी सामने आ रही हैं। हाल में एक व्‍यक्ति ने अदालत में यह कह कर पुलिस को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की कि पुलिस की हरकत से उसकी इज्‍जत को बट्टा लगा है। दरअसल, पुलिस उस शख्‍स को हथियार रखने के आरोप में पकड़ रही थी। उसने हाथ ऊपर किया तो उसकी बैगी पैंट नीचे सरक गई। उस व्‍यक्ति ने इस घटना को आधार बना कर अदालत में खुद को बरी किए जाने और पुलिस को फंसाने की दलील दी।
यही नहीं, बैगी पैंट को भड़काऊ पहनावे की श्रेणी में रखने वाले लोगों का मानना है कि यह यौन शोषण के मामले बढ़ाने के लिए भी जिम्‍मेदार है। अमेरिका के पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय ने किशोरों के यौन शोषण पर एक शोध किया, जिसमें यह पाया गया कि करीब तीन लाख किशोर कभी भी यौन शोषण के शिकार हो सकते हैं। शोषण की आशंका के कारणों में एक कारण उनका पहनावा भी है।
अमेरिका के करीब एक दर्जन प्रांत इसके खिलाफ कानून बना चुके हैं, जहां कमर के नीचे बैगी पैंट पहनने पर सजा और जुर्माना है। लेकिन न्यूयार्क सहित कई प्रांतों में अभी भी इस पर बहस चल रही है। हाल ही में अमेरिकी सीनेटर एरिक एडम्स को इसके खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ा। वे बैगी पैंट्स पहनने वालों से निवेदन कर रहे हैं कि यदि हम पैंट उपर पहनते हैं तो हम अपनी छवि सुधारते हैं। लेकिन इसके बाद भी किशोरों में उत्तेजक पहनावा काफी लोकप्रिय है।(source:bhaskar.com)

Friday, September 24, 2010

क्या फेसबुक का आईडिया भी चोरी का है..?

सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आधारित फिल्म अगले सप्ताह सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है जिसमें कंपनी के संस्थापक पर आइडिया चोरी करने का आरोप लगाया है।
द सोशल नेटवर्क नामक यह फिल्म न्यूयार्क के फिल्मोत्सव में आज प्रदर्शित होगी और सोनी पिक्चर्स उसे एक अक्टूबर को व्यापक रूप से रिलीज करेगा।
सूत्रों के अनुसार इस फिल्म में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में उनके सहपाठी के बीच ईष्र्यापूर्ण संघर्ष को दिखाया गया है कि इस सोशल नेटवर्किंग साइट की स्थापना के लिए किसे श्रेय दिया जाए।
रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के अधिकारियों को चिंता है कि इस फिल्म से जुकरबर्ग की छवि धूमिल होगी और उन्होंने इसी ख्याल से फिल्म में बदलाव के लिए फिल्म निर्माता पर दबाव भी डाला था। लेकिन फिल्म निर्माता ने उनकी बात नहीं मानी। छह साल पहले हार्वर्ड से फेसबुक की स्थापना करने वाले जुकरबर्ग (26) आज दुनिया में सबसे कम उम्र के अरबपतियों में शुमार हैं।(सौजन्य:मेरी खबर डॉट काम)

अंतरिक्ष पर मानव के कदम की स्वर्ण जयंती



"यह एक इंसान का एक क़दम है, मानवजाति के लिए एक लंबी छलांग." नील आर्मस्ट्रांग उस समय 39 साल के भी नहीं हुए थे. दो साल बाद नासा से रिटायर करने के बाद वे सिनसिनाटी युनिवर्सिटी में लगभग दस साल तक एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ाते रहे. साथ ही वे लीअर जेट, युनाइटेड एअरलाइंस या मैराथन ऑयल जैसी कई कंपनियों के निर्देशक मंडल के सदस्य थे.
नील आर्मस्ट्रांग इतने मशहूर होने के बावजूद विनम्र हैं. वे सार्वजनिक जीवन में सामने आने से कतराते हैं. सन 2005 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चांद पर उतरने वाले पहले इंसान के रूप में उन पर इतना ध्यान नहीं देना चाहिए. दरअसल उन्हें पहले व्यक्ति के रूप में नहीं चुना गया था. परिस्थितियों के कारण वे पहले व्यक्ति बन गए. 

अमेरिका के प्रदेश ओहायो के वापाकोनेटा में 5 अगस्त 1930 को नील आर्मस्ट्रांग का जन्म हुआ. बचपन से ही उन्हें हवाई उड़ान से लगाव था और एक किशोर के रूप में वे पास के एक हवाई अड्डे में काम करते रहे.
15 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने पायलट की ट्रेनिंग शुरू की और अपने 16वें जन्मदिन को ही उन्हें पायलट का लाइसेंस मिल चुका था. फिर वे नौसेना में शामिल हुए और कोरियाई युद्ध के दौरान उन्होंने 78 उड़ानें भरी. युद्ध के बाद उन्होंने परडु युनिवर्सिटी में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और उसके बाद दक्षिण कैलिफ़ोर्निया युनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमएससी की पढ़ाई की. सन 1955 में वे कैलिफ़ोर्निया के एडवर्डस् एयरफोर्स बेस में टेस्ट पायलट बने, जहां उन्हें 50 अलग-अलग प्रकार के हवाई जहाज़ों में उड़ान भरने का मौका मिला.

सात साल बाद 1962 में वो टेक्सास के युस्टन में नासा के प्रशिक्षण केंद्र में अंतरिक्ष यात्री के रूप में ट्रेनिंग के लिए चुने गए. 1966 में उन्हें पहली अंतरिक्ष उड़ान का मौका मिला जब वे डेविड स्कॉट के साथ जेमिनी 8 मिशन में शामिल हुए. फिर आया 20 जुलाई 1969 का वह दिन, जब चांद की धरती से उनकी आवाज़ सुनने को मिली.
"यह एक इंसान का एक क़दम है, मानवजाति के लिए एक लंबी छलांग." नील आर्मस्ट्रांग उस समय 39 साल के भी नहीं हुए थे. दो साल बाद नासा से रिटायर करने के बाद वे सिनसिनाटी युनिवर्सिटी में लगभग दस साल तक एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ाते रहे. साथ ही वे लीअर जेट, युनाइटेड एअरलाइंस या मैराथन ऑयल जैसी कई कंपनियों के निर्देशक मंडल के सदस्य थे.
नील आर्मस्ट्रांग इतने मशहूर होने के बावजूद विनम्र हैं. वे सार्वजनिक जीवन में सामने आने से कतराते हैं. सन 2005 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चांद पर उतरने वाले पहले इंसान के रूप में उन पर इतना ध्यान नहीं देना चाहिए. दरअसल उन्हें पहले व्यक्ति के रूप में नहीं चुना गया था. परिस्थितियों के कारण वे पहले व्यक्ति बन गए.(सौजन्य:जागरण डॉट काम )



Friday, August 6, 2010

ऐसे होते हैं अरबपति...

अमरीका के 38 अरबपतियों ने कहा है कि वे अपनी कुल संपत्ति का 50 फ़ीसदी हिस्सा दान में देंगे. ये अभियान माइक्रसॉफ़्ट के संस्थापक बिल गेट्स और निवेशक वॉरन बफ़ेट ने शुरु किया है.अरबपतियों में न्यूयॉर्क के मेयर माइकल ब्लूमबर्ग, सीएनएन के संस्थापक टेड टर्नर और अधिकारी बैरी डिलर शामिल है.
‘द गिविंग प्लेज’ (The giving pledge) नाम के इस अभियान में उन सब परिवारों और व्यक्तियों के नाम हैं जिन्होंने योजना के प्रति वचनबद्धता दिखाई है.
इसकी वेबसाइट पर लिखा गया है कि ये एक नैतिक वचनबद्धता है न कि क़ानूनी अनुबंध. अभियान जून में शुरु किया गया था जिसके तहत अमरीकी अरबपतियों को ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि वो कम से कम 50 फ़ीसदी संपत्ति दान में दें- चाहे ज़िंदा रहते हुए या मौत के बाद. जाने माने निवेशक और बर्कशायर हैथवे के मुख्य कार्यकारी वॉरन बफ़ेट ने एक बयान में कहा है कि काम अभी शुरु ही हुआ है लेकिन अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. लोग चैरिटी के लिए पैसा देना चाहते हैं उन्हें सार्वजनिक स्तर पर ये बात स्पष्ट करनी होगी.

फ़िल्म निर्माता जॉर्ज लूकस और तेल निवेशक टी बून पिक्नस ने भी काफ़ी पैसा देने की घोषणा की है.द गिविंग प्लेज अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि कई व्यक्तियों ने अपनी 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा संपत्ति देने का फ़ैसला किया है. वॉरन बफ़ेट, बिल गेट्स और उनकी पत्नी मलिंडा ने पिछले दो वर्षों में कई अमरीकी अरबपतियों से बात की है ताकि इस अभियान को आगे बढ़ाया जा सके. वॉरन बफ़ेट ने 2006 में अपनी 99 फ़ीसदी धनराशि बिल और मलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन को देने की घोषणा की थी.  फ़ॉर्ब्स पत्रिका ने मार्च में लिखा था कि वॉनर बफ़ेट की कुल संपत्ति 47 अरब डॉलर की है. जबकि दुनिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति बिल गेट्स अपने फ़ाउंडेशन को 28 अरब डॉलर से ज़्यादा दे चुके हैं. फ़ॉर्ब्स के मुताबिक अमरीका में 430 अरबपति हैं.(बीबीसी से साभार)

मंगेतर से फोन पर बात करना भी हराम

नई दिल्ली। दारूल उलूम देवबंद ने अपने नए फतवे में कहा है कि सगाई के बाद मंगेतर से बिना किसी वैध कारण के फोन पर बात करना इस्लाम में प्रतिबंधित है। दारूल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर सामाजिक मामलों के निकाह संबंधी प्रश्न क्रमांक 24557 में इस बारे में फतवा दिया गया है।
देवबंद से प्रश्न पूछा गया है कि क्या रिंग सेरेमनी, जिसे हम सगाई कहते हैं, के बाद कोई व्यक्ति अपनी मंगेतर से फोन पर बात कर सकता है, अगर उनके अभिभावकों ने इस बारे में पहले से अनुमति दी हुई है और उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, जबकि दोनों अलग-अलग परिवारों से हैं। इसका जवाब है कि पहले मंगेतर किसी अजनबी की तरह होती है। उससे बिना किसी कारण फोन पर बात करना वैध नहीं है। फतवे के मुताबिक इस बारे में अनुमति देने वाले अभिभावक कौन होते हैं, जब इस्लाम ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। दु:ख की बात है कि अभिभावकों ने इसकी अनुमति दी है।( दैनिक भास्कर से साभार)

Wednesday, July 28, 2010

नशे के लिए इस हद तक.तो ठीक नहीं ... ...

बीयर को फ्रिज में ठंडा करके पीना आम बात है, लेकिन लंदन में बीयर की एक कंपनी मरे जानवरों की खाल में बीयर की बोतल को रखकर बेच रही है। उसका दावा है कि यह दुनिया की सबसे 'स्ट्राग' और महंगी बीयर है। स्कॉटलैंड की कंपनी ब्रेवडॉग ने इस बीयर को 'द एंड ऑफ हिस्ट्री ऐल' नाम दिया है। इसकी सिर्फ 12 बोतलें बनाई हैं, जिन्हें स्टोट [एक प्रकार का जीव], चार गिलहरियों और एक खरगोश में रखकर बेचा जा रहा है। इसे अमेरिका, कनाडा, इटली, स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में ब्रिकी के लिए भेजा जा चुका है। कंपनी का कहना है, उसने जानवरों को मारा नहीं है बल्कि सड़क दुर्घटना में मारे गए जानवरों की खाल का उपयोग किया गया है। बीयर की कीमत 900 पाउंड [करीब 36 हजार रुपय] है।
फ्रेजरबर्ग की कंपनी ब्रेवडॉग का दावा है कि यह बीयर व्हिस्की और वोदका से भी स्ट्रांग है। कंपनी के सह संस्थापक जेम्स वाट ने कहा, 'इस बीयर के आगे बाकी सभी बीयर बेकार हैं। इसे पहली बार जानवर की खाल में रखकर पेश किया गया है।' यह बोतल देखने में काफी आकर्षक है और ध्यान आकर्षित करती हैं। (सौजन्य:जागरण डाट काम)

लव/सेक्स/धोखा...कुछ नहीं बस रासायनिक खेल है..?

अपने प्रेमी के लिए ललक ऐसी चीज है, जिसने वैज्ञानिकों को भी लम्बे वक्त तक हैरान किया है। प्यार करने वालों के बीच इस पागलपन का कारण जानने के लिए जाने कितनी खोजें हुई। अगर उन खोजों पर यकीन करें तो दो प्रेमियों की इमोशंस और उनके चेंज होने के पीछे जो असली कारण है, वह है शरीर में होने वाला रासायनिक खेल
वैज्ञानिकों के अनुसार प्यार की अलग-अलग स्टेजेस जैसे इन्फैचुएशन, कडलिंग, अट्रैक्शन यहां तक कि बिट्रेयल के पीछे भी काम करते हैं कुछ खास केमिकल्स। वैज्ञानिक मानते हैं कि आकर्षण असल में इन न्यूरोकेमिकल्स के वर्चुअल एक्सप्लोजन जैसा है। जिसके बाद आपको फील गुड होने लगता है। पीईए, एक केमिकल है जो नर्व सेल्स के बीच इन्फॉर्मेशन का फ्लो बढ़ा देता है। इस केमिस्ट्री में डोपामाइन और नोरिफिनेराइन नामक दो केमिकल्स भी बड़ा इंट्रेस्टिंग काम करते हैं। डोपामाइन हमें फील गुड का अहसास कराता है और नोरिफिनेराइन एड्रिनैलिन का प्रोडक्शन बढ़ा देता है। किसी को देखकर बढ़ने वाली हार्ट बीट इन कैमिकल्स की ही देन है, जिसे प्रेमी कुछ कुछ होना समझ बैठते हैं। ये तीनों कैमिकल्स कम्बाइन होकर काम करते हैं। इन्फैचुएशन जिसे इन जनरल लोग आपकी 'केमिस्ट्री' कहते हैं। यही कारण है कि नए प्रेमी खुद को हवा में उड़ता हुआ, बेहद ऊर्जावान सा फील करते हैं।
किसी के साथ कडल अप करने का मन बस यूं ही नहीं होता। इसके पीछे भी एक केमिकल है! ये है ऑक्सिटोसिन, जिसे कडलिंग केमिकल भी कहा गया है। वैसे तो ऑक्सिटोसिन को मदरहुड से भी संबंध किया जाता है लेकिन ये भी माना जाता है कि ये महिला और पुरूष दोनों को ज्यादा कूल और दूसरों की फीलिंग्स के लिए सेंसिटिव बनाता है। सेक्सुअल अराउजल में भी इसका खास रोल है। ऑक्सिटोसिन प्रोडक्शन ट्रिगर करने के पीछे इमोशनल रीजंस भी हो सकते हैं और फिजिकल भी। यानी अपने लवर की फोटो देखने, उसके बारे में सोचने से लेकर उसकी आवाज सुनने, उसके किसी खास अपीयरेंस तक कुछ भी आपकी बॉडी में ऑक्सिटोसिन का प्रोडक्शन बढ़ा सकता है। अगर प्रेमी फिजिकली प्रेजेंट हैं तो यही हार्मोन एक-दूसरे को गले लगाने और कडल करने के लिए उकसाता है।
इन्फैचुएशन कम होते ही केमिकल्स का एक नया ग्रुप टेकओवर कर लेता है। इसे क्रिएट करते हैं एन्डॉर्फिन्स। ये केमिकल्स पीईए जैसे एक्साइटिंग नहीं होते लेकिन ज्यादा एडिक्टिव और कूल करने वाले होते हैं। यही कारण है कि इन्फैचुएशन के बाद प्यार की अगली स्टेज यानी अटैचमेंट में इंटिमेसी के साथ-साथ ट्रस्ट, वॉ‌र्म्थ और साथ वक्त बिताने जैसी इमोशंस फील की जाती हैं। जितना ज्यादा लोग इन केमिकल्स के आदी हो जाएं वो उतना ही इनसे दूर नहीं रह सकते। यही कारण है कि लम्बे चलने वाले लव अफेयर्स या कोई खास रिश्ता टूटना आप बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसके पीछे रीजन है इन केमिकल्स का लत लगना। अपने पार्टनर के दूर जाने पर उसे मिस करने के पीछे भी यही एंडॉर्फिन्स होते हैं। प्रेमी के दूर जाने पर ये केमिकल्स बॉडी में कम होने लगते हैं और इनके आदी होने की वजह से आप अपने प्रेमी, या विज्ञान की भाषा में कहें तो इन हारमोन्स की कमी महसूस करने लगते हैं।(सौजन्य:जागरण डाट काम)

Wednesday, July 14, 2010

बुर्का पहनाया तो १८ लाख जुर्माना

फ़्रांस में अब मुस्लिम महिलाएं बुर्का नहीं पहन पाएंगी क्‍योंकि फ्रांस में पहनने पर पाबंदी लगा दी गई है। देश की संसद राष्ट्रीय महासभा ने भारी बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसके अनुसार सार्वजनिक रूप से चेहरा ढंकना गैरकानूनी होगा। अगर कोई महिला इस नियम को तोड़ती है तो उसे 150 यूरो, यानी लगभग 9 हज़ार रुपए तक का जुर्माना देना होगा। किसी को बुर्का पहनने के लिए मजबूर करने पर एक साल की कैद व तीस हज़ार यूरो, यानी करीब 18 लाख रुपए के बराबर जुर्माना देना पड़ेगा। अगले साल से यह पाबंदी लागू हो जाएगी। फ़्रांस में पचास लाख मुसलमान रहते हैं, इससे पहले बेल्जियम में भी बुर्के पर पाबंदी लगाई गई थी। (साभार:मेरीखबर.कॉम)

५० साल में बालों में १०० बार बदलाव !


 ब्रिटेन में हुए एक सर्वेक्षण के मुताबिक एक महिला अपने जीवन में औसतन 104 बार 'हेयर स्टाइल' बदलती है। समाचार पत्र 'डेली मेल' के अनुसार महिलाएं 13 से 65 वर्ष की उम्र में कई बार 'हेयर स्टाइल' बदलती हैं। वे साल में कम से कम दो बार बालों की लेयरिंग कराती हैं और बालों को रंगती भी हैं। यही नहीं वे अपने बालों को छोटा भी कराती हैं।
सर्वेक्षण करने वाले हेयरड्रेसर एंड्रयू कोलिंग के मुताबिक ज्यादातर महिलाएं सालभर में अपने बालों के कम से कम तीन बार रंग बदलने की कोशिश करती हैं। इनमें गहरा भूरा रंग (डार्क ब्राउन) सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। अधिकतर देखा जाता है कि दो तिहाई महिलाएं कम से कम एक बार अलग दिखने की कोशिश करती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि महिलाओं के हेयरड्रेसर उनके पुराने 'हेयर स्टाइल' को बोरियत बताते हैं। दूसरा सबसे बड़ा कारण बदलते हुए रिश्ते हैं। महिलाएं नए रिश्ते के साथ नए रूप में दिखना चाहती हैं। यह सर्वेक्षण 3,000 महिलाओं पर किया गया। जिसमें पाया गया कि 44 फीसदी महिलाएं बोरियत की वजह से बाल के रंग या 'हेयर स्टाइल' बदलती हैं, जबकि 61 फीसदी ने कहा कि वह अपने में बदलाव देखना चाहती हैं।(साभार:मेरीखबर.कॉम )

Friday, June 25, 2010

कुत्ते के प्रेम में घर ही रंग दिया...

जो गुजर गए, उनकी निशानियां उनकी याद दिलाती हैं। लेकिन क्रोएशिया के एक परिवार ने इस दिशा में एक कदम बढ़ कर काम किया है। उन्होंने भगवान को प्यारे हो गए अपने डालमेशियन कुत्ते की याद में अपने घर को ही ब्लैक एंड ह्वाइट पेंट से धब्बेदार रंगवा दिया। 55 वर्षीय गोरेन टोमेस्टिक अपने कुत्ते बिंगो की याद में कुछ करना चाहते थे। सो उन्होंने अपने घर की बाहरी दीवारों को कुत्ते के रंग में रंगवा दिया। उनका यह पालतू कुत्ता एक सड़क दुर्घटना में मर गया था।
गोरेन ने बताया, हमें बिंगो से बहुत प्यार था। हम उसकी यादों को हमेशा अपने बीच रखना चाहते हैं। हमारा घर अब उसकी याद दिलाता रहेगा। लेकिन गोरेन के इस प्रयास से उनके पड़ोसी खुश नहीं हुए। दरअसल ब्लैक एंड ह्वाइट टेढ़े-मेढ़े धब्बे देखकर उनके सिर में दर्द पैदा होने लगा। उन्होंने शिकायत की। पड़ोसियों की इस शिकायत पर गोरेन अब अपने घर को दूसरे रंग में रंगवाएंगे। उनकी पड़ोसन बोरिस्लावा ट्रेगिन ने कहा, भगवान का शुक्र है उन्हें यह बात समझ तो आई। मैं बाहर से पीले रंग के घर को देखकर रह सकती हूं। लेकिन उस धब्बेदार पेंट को देखकर मेरे सिर में दर्द हो जाता है।(source:yahoo.com)

चिट्ठी भेजकर आई मौत!

इसे किसी की साजिश करार दिया जाए या मजाक। जो भी हो, मगर इस साजिश या मजाक ने एक वृद्ध की जान ले ली। घटना के बारे में जो भी सुन रहा है, वही अपने दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है। कोतवाली नगर थाना क्षेत्र के कैलावालान, दिल्ली गेट मोहल्ले में थान सिंह नामक व्यक्ति का परिवार रहता है। 70 वर्षीय वृद्ध थान सिंह दूध की डेयरी चलाते थे। जबकि उनके तीनों पुत्र आटा चक्की चलाने का काम करते हैं। विगत 22 जून को थान सिंह के मकान पर एक रजिस्टर्ड लिफाफा पहुंचा। जब इस लिफाफे को खोला गया तो परिवार का हर कोई सदस्य सन्न रह गया।
दरअसल, रजिस्टर्ड लिफाफे में कुछ और नहीं बल्कि थान सिंह के अंतिम संस्कार की श्मशान घाट की पर्ची थी। पर्ची में उल्लेख था कि थान सिंह की मौत विगत 17 जून को हो गई थी। जबकि 18 जून को उनका अंतिम संस्कार हिंडन स्थित श्मशान घाट के 5 नंबर प्लेटफार्म पर कर दिया गया। पर्ची पर थान सिंह का नाम, पता व टेलीफोन नंबर पूरी तरह से ठीक था।
अपने ही अंतिम संस्कार की पर्ची देखकर खुद थान सिंह का माथा ठनक गया। परिजनों का कहना है कि इसके बाद से ही थान सिंह तनाव में आ गए थे। शायद यही कारण रहा कि रजिस्टर्ड डाक से पर्ची मिलने के अगले ही दिन सुबह थान सिंह की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि पर्ची के बाद से ही वह इस कदर तनाव में थे कि शायद उन्हें हार्टअटैक हो गया।
परिजनों ने हिंडन घाट पर जाकर जब इस पर्ची की बाबत जानकारी हासिल की तो पता चला कि उक्त पर्ची फर्जी है। किसी ने फर्जी तरीके से पर्ची छपवाकर इस घटना को अंजाम दिया।(source:yahoo.com)

Monday, June 14, 2010

चार अनोखी बहनों की कहानी


इसे कुदरत का करिश्मा ही कहा जाएगा कि 21 साल पहले एक साथ जन्मी चार बहनें अब दक्षिण कोरिया के उसी अस्पताल में नर्स हैं, जिसमें उनका जन्म हुआ था। यही नहीं, एक सी दिखने वाली इन चारो बहनों ने नर्सिंग की अपनी ट्रेनिंग भी एक ही दिन शुरु की थी।ह्वांग सुएल और उसके साथ जन्मी उसकी तीनों बहनें- सिओल, सोल और मिलाल अब नर्सिंग में अपने उज्जवल भविष्य को लेकर उत्साहित हैं। अस्पताल के कर्मचारियों ने भी इन चारों बहनों का खुलकर स्वागत किया। हालांकि, हो सकता है कि कोई इन चारों बहनों को एक साथ देखकर इस भ्रम का शिकार हो जाए कि उसे चीजों चार-चार दिखाई दे रहीं हैं।शायद ऐसी ही चीजों को देखकर कहा गया है- ‘सत्‍य कल्‍पना से भी विचित्र होता है।’(meri khabar.com)

कंडोम करेगा महिलाओं की रक्षा


साउथ अफ्रीका में वर्ल्ड कप के दौरान एक डॉक्टर महिलाओं के लिए 30 हजार एंटी रेप कंडोम फ्री में बांट रही है। महिलाओं के लिए विशेष तौर पर विकसित किए गए इस कंडोम का नाम रेपएक्स रखा गया है। रेपएक्स में छोटे-छोटे हुक्स लगे हैं जो रेप की स्थिती में रेपिस्ट के अंग में फंस जाएंगे। कंडोम बनाने वाली डॉक्टर सोनेट एहलर्स का कहना है कि एक बार रेपिस्ट के अंग में फंसा यह कंडोम सिर्फ अस्पताल में ही निकाला जा सकता है। अस्पताल पहुंचने पर रेप करने वाले व्यक्ति को आसानी से पहचाना जा सकता है।रेपएक्ल इससे पहले रेप निरोधी कंडोम के प्रारूपो से अलग है। यह रेपिस्ट की खाल नहीं काटता है जिससे एचआइवी फैलने का खतरा कम हो जाता है।
डॉ. एलहर्स का कहना है कि उन्हें इस कंडोम को बनाने की प्रेरणा रेप पीड़ित एक महिला से मिली। उसका कहना था कि काश उसके अंग में दांत होते और वो रेपिस्ट को काट सकती।एलहर्स कहती है कि महिलाओं को रेप से सुरक्षा देने वाला यह कंडोम अफ्रीका में काफी उपयोगी साबित होगा। अफ्रीका में महिलाओं के खिलाफ सेक्स अपराधों की दर काफी ज्यादा है। साउथ अफ्रीका की मेडिकल काउंसिल द्वारा कराए गए एक सर्वे हर चार में से एक महिला ने स्वयं को रेप पीड़ित बताया था।
रेपएक्स की काफी आलोचना भी हो रही है। महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली एक एनजीओ के सदस्यों का कहना है कि यह कंडोम रेप से बचाता नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी की हो सकता है यह कंडोम रेपिस्ट को और ज्यादा हिंसक बना दे। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कुछ महिलाएं इस कंडोम का इस्तेमाल बेगुनाह लोगों के खिलाफ भी कर सकती है।(source:merikhabar.com)

Tuesday, June 8, 2010

पुरुष लगातार घूरे तो समझो लम्बा चलेगा प्यार

वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों की आंखें उनके दिल के राज खोलती हैं। आंखें बताती हैं कि वह किसी रिश्ते को लंबे समय तक कायम रखना चाहते हैं या बस कुछ दिन की ही मुलाकात चाहते हैं।

यदि कोई पुरुष किसी महिला की आंखों में लंबे समय तक लगातार देखता है तो इसका मतलब है कि वह महिला के साथ अपने रिश्ते को लंबे समय तक कायम रखना चाहता है। लेकिन यदि उसकी निगाहें कुछ पलों के लिए महिला के चेहरे पर ठहरने के बाद उसके शरीर पर पहुंच जाती हैं तो इसका मतलब है कि वह महिला से कम समय में कुछ चीजें हासिल करना चाहता है।

समाचार पत्र डेली मेल के मंगलवार के अंक के मुताबिक टोक्यो विश्वविद्यालय के डा. टॉम करी ने अपने अध्ययन में पाया कि यदि कोई पुरुष अपना जीवनसाथी खोजता है तो उसके लिए साथी के शरीर से ज्यादा उसका चेहरा अहमियत रखता है।

स्टिरलिंग विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक डा. एंथनी लिटिल के मुताबिक यदि आपको लंबे समय तक कायम रहने वाले रिश्ते की तलाश है तो आप इसमें दोस्ताना, विनोदी और सहभागी साथी तलाशते हैं। उन्होंने कहा कि साथी के विषय में ये सारी जानकारियां उसके चेहरे से ही मिल सकती हैं।

यह अध्ययन 260 महिला व पुरुष प्रतिभागियों पर किया गया था। महिला एवं पुरुष प्रतिभागियों को विपरीत लिंग वाले मॉडल्स के छायाचित्र देखने के लिए कहा गया था। इसके बाद प्रतिभागियों से पूछा गया कि दीर्घ काल तक संबंध और अल्प अवधि तक संबंध बनाने के हिसाब से कौन से मॉडल कितने आकर्षक थे।

जब दीर्घ अवधि के संबंधों की बात हुई तो केवल 20 प्रतिशत पुरुषों ने ही मॉडल्स के चेहरे की अपेक्षा उनके शरीर को तरजीह दी। यद्यपि जब उनसे अल्प अवधि के संबंधों पर पूछा गया तो 40 प्रतिशत पुरुषों ने मॉडल्स के चेहरे की अपेक्षा उनके शरीर को महत्व दिया।(source:mahanagar times)

मगरमच्छ तक खाते थे हमारे पूर्वज

वैज्ञानिकों ने अफ्रीकी देश केन्या में पत्थरों से बने प्राचीन औजारों और कटे का निशान लिए हुए जानवरों के अवशेषों की खोज की है।

वैज्ञानिकों का दावा है कि यह ऎसा पहला प्रमाण है, जिसमें यह साबित होता है कि प्राचीन इंसान विभिन्न तरह के आहार लेता था जिसमें मछली, मगरमच्छ व कछुए भी शामिल थे।

एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ हैकि तकरीबन 20 लाख साल पहले के लोगों ने जलीय आहार लेना शुरू किया था, जिसमें मगरमच्छ, कछुए और मछलियां शामिल थीं। यह ऎसा आहार था, जिसने इंसानी दिमाग और अफ्रीका से इंसान के कदम बाहर रखने में एक अहम भूमिका निभाई होगी। न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व अध्ययन करने वाले दल के सदस्य एंडी हेरीज ने कहा कि अफ्रीका में मौजूद यह जगह इस बात का पहला प्रमाण है कि प्राचीन मानव बहुत ज्यादा व्यापक आहार लिया करता था। इस अध्ययन में नेशनल म्यूजियम्स ऑफ केन्या की भी भागीदारी थी। अध्ययन करने वाले दल के अगुवा दक्षिण अफ्रीका में यूनीवर्सिटी ऑफ केपटाउन के डेविड ब्राउन और अमेरिका की रजर्स यूनीवर्सिटी के जैक हैरिस थे।(source:mahanagar times)

Monday, June 7, 2010

मिल ही गई गैस पीड़ितों को सजा

वर्ष 1984 की दुनिया की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के 25 साल बाद इस मामले के आठों आरोपियों को सोमवार को दोषी करार दिया गया। यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन अध्यक्ष सहित सभी आठ आरोपियों को दोषी करार दिया गया।

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहन पी तिवारी ने इन आरोपियों को धारा 304 [ए] और धारा 304 के तहत दोषी करार दिया। जिन लोगों को दोषी ठहराया गया है उनके नाम हैं:- यूसीआईएल के तत्कालीन अध्यक्ष केशव महेन्द्रा, प्रबंध संचालक विजय गोखले, उपाध्यक्ष किशोर कामदार, व‌र्क्स मैनेजर जे मुकुंद, प्रोडक्शन मैनेजर एस पी चौधरी, प्लांट सुपरिंटेंडेंट के वी शे्टटी, प्रोडक्शन इंचार्ज एस आई कुरैशी और यूसीआईएल कलकत्ता। मामले की सुनवाई के दौरान सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में कुल नौ लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिनमें से यूसीआईएल के तत्कालीन व‌र्क्स मैनेजर आर बी रायचौधरी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।(source:jagran.com)

पर्यावरण बचाने मै भारतीय सबसे आगे

प्रदूषण को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले भारतीय महानगरों के निवासियों को यह जानकर कुछ राहत मिल सकती है कि भारतीय नागरिक सबसे ज्यादा पर्यावरण हितैषी हैं जबकि अमेरिकी इस मामले में सबसे पीछे हैं।

पर्यावरण की निरंतरता के अनुरूप उपभोग के तौर तरीकों पर 17 देशों में किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। नेशनल ज्योग्राफिक द्वारा तैयार कंज्यूमर ग्रीन इंडेक्स में 17 देशों के 17000 उपभोक्ताओं का अध्ययन किया गया है।

सर्वे में उपभोक्ताओं से ऊर्जा के उपयोग और संरक्षण, परिवहन रुचि, खाद्य साधन, परंपरागत उत्पादों बनाम हरित उत्पादों का सापेक्षिक उपयोग, पर्यावरण के प्रति नजरिया और पर्यावरण मुद्दों के बारे में जानकारी संबंधित सवाल पूछे गए थे।

सर्वे में पाया गया है कि उपभोग प्रतिरूप मामले में अमेरिका सबसे कम पर्यावरण हितैषी है। नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार ग्रीन इंडेक्स में उभरते देशों के लोग सबसे ऊपर के पायदान पर रहे जबकि औद्योगिक देशों के उपभोक्ता इस मामले में निचले पायदान पर रहे।(source:hindustan times)

नेशनल ज्योग्राफिक की रैकिंग में क्रमश: भारतीय, ब्राजीलियाई, चीनी, मैक्सिकन, हंगरी, दक्षिण कोरिया, स्वीडिश, स्पेनिश, आस्ट्रेलियन, जर्मन, जापानी, ब्रिटिश, फ्रेंच, कनाडाई और अमेरिकन को स्थान दिया गया है।

वर्ष 2008 के मुकाबले सतत पर्यावरण उपभोक्ता व्यवहार के मामले में सबसे ज्यादा भारतीय, रूसी और अमेरिकी जनता के रुख में तब्दीली आई है। जबकि दूसरी ओर जर्मनी, स्पेन, स्वीडन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया की स्थिति खराब हुई है।

हालांकि अमेरिकी जनता का पर्यावरण हितैषी व्यवहार निचले पायदान पर है लेकिन उनके जीवन शैली में कुछ सुधार हुआ है। अमेरिकी जनता का औसत ग्रीन इंडेक्स हर वर्ष औसतन 1.3 फीसदी बढ़ रहा है।

सर्वेक्षण में आवास क्षेत्र में पयार्वरण के अनुरूप ज्यादा सतर्कता देखी गई। वर्ष 2009 और 2010 दोंनों साल ग्रीनडेक्स स्कोर में इसकी निरंतरता देखी गई। इसका आकलन लोगों के घरों में ऊर्जा और संसाधनों के उपभोग के आधार पर किया गया। आवास श्रेणी में पर्यावरण अनुकूल उपभोग के मामले में ब्राजील, भारत, मेक्सिको और चीन के लोग सबसे ऊपर आंके गए जबकि जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटिश, जापान और अमेरिकी इस मामले में अंतिम छह में रहे।

ऊर्जा के मामले में खपत में कमी के लिए ज्यादातर लोगों ने कीमतों को वजह बताया जबकि 20 से 50 प्रतिशत लोगों ने खपत कम करने के लिए पर्यावरणीय चिंताओं को इसकी वजह बताया। परिवहन के लिए रुचि के मामले में परिणाम मिला जुला रहा। कुछ देशों में इसमें सुधार था तो कुछ में स्थिति और कमजोर रही।

Monday, May 17, 2010

साड़ी में उलझी एश और दीपिका



बॉलीवुड की शांति यानि कि दीपिका पादुकोण ने मिस वर्ल्‍ड रह चुकी ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन की चमक फीकी कर दी। अब आप सोच रहे होंगे कि थोड़े के समय पहले बॉलीवुड में आई दीपिका ने ऐसा क्‍या कर दिया, जिसके आगे ऐश की चमक कम हो गई। इस साल दीपिका पादुकोण ने कान्‍स फिल्‍म फेस्‍ट की रेड कारपेट पर पहली बार शिरकत की। और शिरकत ऐसी कि जिसके सामने ऐश्‍वर्या फीकी पड़ गईं। दीपिका लिकर ब्रांड चिवास को पेश कर रही थी। दीपिका ने कान्‍स में सफेद एम्‍ब्राडरी ऑफ व्‍हाइट रंग की साड़ी पहनी, जिसमें वह बेहद ही खूबसूरत लग रही थी। इस साड़ी को रोहित बल ने डिजाइन किया।

वहीं, दूसरी ओर लोरियल की ब्रोड एम्‍बेसेडर ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन जो कि 2002 से कान्‍स में लगातार शिकरत कर रही है। ऐश ने इस इवेंट वेस्‍टर्न ड्रेस बैंगनी रगं का गाउन पहना जिसे लीबिन्‍स डिजाइनर इली साब ने डिजाइन किया। लेकिन स बकी निगाहें तो शांति यानि कि दीपिका पर ही टिकी हुई थी।
ऐश ने सोचा होगा कि इंटरनेशनल इवेंट है क्‍यों ना वेस्‍टर्न ही पहना जाए, लेकिन ऐश ने यह नहीं सोचा होगा कि उनके गाउन पर किसी और नहीं बल्कि दीपिका की साड़ी भारी पड़ जाए।

Wednesday, May 12, 2010

भारत का ही रहेगा अश्वगंधा


सरकार ने समय पर उचित कार्रवाई करके अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के अश्वगंधा (विथानिया सोमनीफेरा) पौधे का पेटेंट करवाने के प्रयास को नाकाम कर एक बड़ी सफलता हासिल की है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी नेटरिओन इंक द्वारा पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के अश्वगंधा पौधे के अर्क और भेषजीय, पशु चिकित्सीय अथवा पौषणिक आहार के रूप में स्वीकार्य संवाहकों से निर्मित सम्मिश्रण के माध्यम से 27 जुलाई 2006 को 'उपचार पद्धति अथवा तनाव प्रबंधन' के रूप में पेटेंट आवेदन पत्र यूरोपीय पेटेंट कार्यालय में दायर किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार ने इसकी जानकारी मिलने के बाद इस संबंध में तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। अश्वगंधा का आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धति में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस संबंध में पारंपरिक ज्ञान अंकीय पुस्तकालय द्वारा आयुर्वेद, सिद्ध, और यूनानी के विभिन्न शास्त्रों का उल्लेख करते हुए यूरोपीय पेटेंट कार्यालय में साक्ष्य दायर कराए।

इस पुस्तकालय तक यूरोपीय पेटेंट कार्यालय और संयुक्त राज्य पेटेंट संगठन (यूएसपीओ) की पहुंच बनाने के लिए उनके साथ करारों पर हस्ताक्षर किए गए हैं ताकि गलत पेटेंटीकरण को समय पर रोका जा सके।(source:ndtv)

Friday, May 7, 2010

विज्ञान के लिए अबूझ पहेली


पिछले 65 साल से बिना कुछ खाए पिए रहने का दावा करने वाले गुजरात के चुनरी वाले बाबा उर्फ माताजी उर्फ प्रहलाद जानी विज्ञान के लिए अबूझ पहेली बन गए हैं। रक्षा विभाग की शोध संस्था और देश के नामी चिकित्सक भी माताजी के बिना खाए पीए रहने का रहस्य नहीं जान सके। अगर इस रहस्य से पर्दा उठ जाता है तो अंतरिक्ष यात्रियों को खानपान का सामान नहीं ले जाना पड़ेगा।
माताजी की खासियत यह है कि वे मल-मूत्र नहीं त्यागते। जबकि मूत्र विसर्जन नहीं करने पर मौत संभव है। माताजी की इस सिद्धी से दो साल पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भारतीय प्रबंध संस्थान में अवगत कराया गया था। कलाम की ही पहल पर उनकी जांच की प्रक्रिया शुरू की गई। नई दिल्ली के रक्षा शोध एवं विकास संगठन [डिपास] ने गुजरात के 32 चिकित्सकों की मदद से गत दो सप्ताह तक अहमदाबाद के स्टर्लिग अस्पताल में माताजी का परीक्षण किया। इस दौरान उन पर लगातार सीसीटीवी कैमरों के जरिए नजर रखी गई। जिसमें उनका एमआरआई, सीटी स्केन, ईसीजी, सोनोग्राफी आदि परीक्षण कर उनके शरीर की एक एक हलचल पर नजर रखी गई लेकिन सब रिपोर्ट सामान्य पाई गई। स्टर्लिग अस्पताल के न्यूरोफिजिशियन डा. सुधीर शाह ने बताया कि ब्लेडर में मूत्र बनता था, लेकिन कहा गायब हो जाता है इस पहेली को डाक्टर भी नहीं सुलझा पाए है।

इससे पहले उनका मुंबई के जेजे अस्पताल में भी परीक्षण किया जा चुका है। लेकिन इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका। (source:jagran.com)

Tuesday, May 4, 2010

अश्लील फिल्मों की भी राजधानी बनता जा रहा है कराची



पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर और व्यावसायिक राजधानी कराची अश्लील फिल्मों के निर्माण केंद्र के रूप में भी उभर रहा है और युवा वर्ग जल्द पैसा कमाने के लिए इस ओर आकर्षित हो रहा है।

ट्रिब्यून अखबार ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में कहा था कि कई युवक एवं युवतियां खासकर विद्यार्थी एवं घर से भागे लड़के-लड़कियां, ज्यादा पैसा बनाने के चक्कर में स्थानीय अश्लील फिल्म उद्योग की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

कराची पुलिस और खुफिया विभाग के सूत्रों ने कहा कि कुछ लोग वाकई अश्लील फिल्में बना रहे हैं और दुकानदारों के तगड़े नेटवर्क के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से पूरे देश में सीडी का वितरण कर रहे हैं और इंटरनेट पर उसे पोस्ट कर रहे हैं।

एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि यह सच है कि कराची में अश्लील फिल्मों का निर्माण किया जा रहा है। कुछ समय पहले हमने क्लिफटन में एक फोटो स्टूडियो पर छापा मारा जिसे बॉबी नाम का लड़का चला रहा था। हमने उसे लड़के एवं लड़कियों के साथ अश्लील फिल्म बनाते पकड़ा और उसने स्वीकार किया कि वह इस व्यवसाय में है।

अधिकारी ने कहा कि बॉबी ने स्वीकार किया कि वह प्रभावशाली लोगों से ऑर्डर लेता है जो अश्लील फिल्मों का आनंद उठाते हैं या अश्लील फिल्मों का संग्रह करते हैं। एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि लड़के ने कहा कि किसी व्यक्ति के लिए फिल्म बनाने की खातिर वह दो लाख से तीन लाख रुपये लेता था और बाद में वह उसी फिल्म की प्रतियां बाजार एवं वेबसाइट पर भी वितरित करता था।

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि अश्लील फिल्म निर्माता क्लिफटन जैसे पॉश इलाकों से संचालन करते हैं । अधिकारी ने कहा कि वे सभी एक़-दूसरे से संपर्क में रहते हैं और अगर हम उन्हें गिरफ्तार करते हैं तो कुछ दिनों के बाद उन्हें रिहा करना पड़ता है। कराची में यह काफी गुप्त व्यवसाय है।

अश्लील फिल्मों के प्रोडयूसर जुनैद के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, हमारी सफलता का कारण आधुनिक उपकरण नहीं हैं बल्कि युवाओं को इसमें शामिल करना है। पिछले वर्ष हमने सात फिल्में बनाईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक फिल्म बनाने का खर्च चार लाख से छह लाख रुपये आता है और इससे दस लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है। अभिनेत्रियों को प्रति फिल्म 30 हजार से 50 हजार रुपये दिया जाता है।

जुनैद ने कहा कि सात में से तीन फिल्मों में युवाओं ने मुख्य भूमिका स्वेच्छा से निभाई। जुनैद और उसकी सहयोगी टीना ने 2002 में स्टूडियो की शुरूआत की और दावा किया कि उन्होंने 90 से ज्यादा फिल्में बनाई हैं। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस तरफ ध्यान नहीं देने के लिए पुलिस को रिश्वत दी जाती है।

अपराध जांच पुलिस के अधीक्षक फयाज खान ने कहा कि इस तरह की फिल्मों को अनुमति नहीं है और जब भी दुकानों में इस तरह की फिल्में रखने के बारे में पुलिस को सूचना मिलती है, वह कार्रवाई करती है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कई दुकानों में छापेमारी की गई।(sourcr;Hindustan)

छि छि प्रधानमंत्री होकर अश्लील साईट देखने का काम


आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रड इन दिनों काफी शार्मिदगी महसूस कर रहे है। ऎसी रिपोर्टे सामने आई हैं कि वह अपने सरकारी टि्वटर खाते पर पॉर्न वेबसाइट को फॉलो करते थे। रड सोशल नेटवर्किग के खतरों से रूबरू हुए या असावधानीवश अश्लील वेबसाइट को फॉलो करने लगे। हथकडी पहने और स्तन उघाडे महिला, एक ऑनलाइन एडल्ट सुपरस्टोर और एक अश्लील ब्लॉग उन दर्जनों अश्लील खातों में शामिल हैं जिन्हें रड फॉलो करते थे।
रिपोर्ट के अनुसार रड के एक प्रवक्ता ने यह स्वीकार किया कि यह सब एक ऑटोमेटेड प्रोग्राम के चलते हुआ। इसके तहत रड का टि्वटर खाता फॉलोअर बनने वाले सभी खातों को खुद-ब-खुद फॉलो> करने लगता है।
विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि टि्वटर के उपभोक्ताओं को इसके संभावित खतरों से वाकिफ होना चाहिए। गौरतलब है कि रड सोशल मीडिया के बडे शौकीन हैं। वह नई नीतियों को उजागर करने के लिए टि्वटर का उपयोग करते है। यहां तक कि उन्होंने अपने बेटे की शादी की सूचना भी इसके माध्यम से दी थी।(स्रोत:हेराल्ड सन)

Monday, May 3, 2010

TRUTH OF OUR HOME



A teacher from Primary School asks her students to write an essay about what they would like God to do for them...At the end of the day while marking the essays, she read one that made her very emotional.
Her husband, who had just walked in saw her crying and asked her what happened. She answered, ‘Read this; it's one of my student’s essays.’
“Oh God, tonight I ask you something very special; make me into a television; I want to take its place and live like the TV in my house. Have my own special place, have my family around ME, and to be taken seriously when I talk. I want to be the centre of attention and be heard without interruptions or questions. I want to receive the same special care that the TV receives when it is not working. I want to have the company of my dad when he arrives home from work, even when he is tired. And I want my mom to want me when she is sad and upset, instead of ignoring me. And, I want my brothers to fight to be with me... I want to feel that the family just leaves everything aside, every now and then, just to spend some time with me. And last but not least make it that I can make them all happy and entertain them... Lord I don't ask you for much... I just want to live like every TV.”
At that moment the husband said: 'My God, poor kid. What horrible parents!’
The wife looked up at him and said: 'That essay is our son's!!!(source:tejeswani)

बिगड़े रिश्ते सुधारने का शानदार मौका


यदि आपका वषरें से किसी से मनमुटाव है या फिर किसी के साथ आपकी दुश्मनी है तो इनके खात्मे के लिए आपके पास चार मई का मौका है । जी हां इस दिन मनाए जाने वाले ‘रिलेशनशिप रिन्यूअल डे पर’ आप अपने संबंधों की समीक्षा कर उन्हें नया रूप दे सकते हैं । किसी से मनमुटाव या दुश्मनी की स्थिति में इस दिन का फायदा उठाकर आप संबंधों की खटास को मिठास में बदल सकते हैं ।

उदाहरण के लिए यदि आपका अपने किसी मित्र से मनमुटाव चल रहा है या फिर किसी बात को लेकर वह आपका दुश्मन बन बैठा है तो आप उससे कह सकते हैं कि आप उससे किसी भी तरह का बैर या मनमुटाव न चाहकर उसके साथ सिर्फ दोस्ताना संबंध चाहते हैं । संबंधों में आई खटास के दूर होने से जहां आपके मन का तनाव कम होगा वहीं आपसे दुश्मनी पाले बैठे व्यक्ति का भी काफी हद तक हृदय परिवर्तन होगा और वह आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा ।

यदि आपके परिवार में किसी बात को लेकर बिखराव हो गया है तो आप चार मई को पड़ने वाले दिन का फायदा उठाइये । बिखरे परिवार को फिर से जोड़ने के लिए ‘रिलेशनशिप रिन्यूअल डे’ से बढ़कर और कोई अवसर नहीं हो सकता ।(sorce:bhasha)

कुत्तों के लिए बना ब्लड बैंक


अब गंभीर रूप से बीमार कुत्तों में खून की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकेगा। तमिलनाडु वेटरिनरी एंड एनिमल साइंसेज विश्वविद्यालय में देश में कुत्तों के लिए पहले ब्लड बैंक की स्थापना की गई है, जहां कुत्ते न केवल रक्तदान कर सकेंगे, बल्कि जरूरतमंद कुत्तों को रक्त भी चढ़ाया जा सकेगा।

ब्लड बैंक में 28 दाताओं को पंजीकृत कर लिया गया है। पिछले एक सप्ताह से बैंक ने काम करना शुरू किया है और तब से अब तक 10 कुत्तों को रक्त चढ़ाया जा चुका है। कुत्तों में एकरिलिका कानिस संक्रमण में रक्त की जरूरत पड़ती है।ब्लड बैंक प्रयोगशाला में एक रक्त संग्रहण इकाई और एक स्क्रीनिंग उपकरण है, जो खून में किसी भी तरह की बीमारी का पता लगाएगा। इसके अलावा प्रयोगशाला में एक उच्च तकनीकयुक्त संग्रहण इकाई है।

एक से आठ वर्ष के बीच के कुत्ते एक साल में अधिकतम चार बार रक्तदान कर सकेंगे। रोगों के उपचार के अलावा कुत्तों में ट्यूमर की सर्जरी के दौरान भी खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। कुत्तों को आघात, संक्रमण, एनीमिया और रक्तमज्जा में चोट पर भी खून चढ़ाना पड़ता है।(source;pti/bhasha)

कामचोरी पड़ सकती है मंहगी


नाकाम पति किसी को पसंद नहीं। यही कारण है कि आस्ट्रेलिया में रहने वाली एक महिला ने अपने नाकाम पति को बेचने के लिए ईबे नाम की ऑनलाइस वेबसाइट पर विज्ञापन दे दिया।

सोनिया सिमेंस नाम की यह महिला अपने 35 वर्षीय कवि पति से छुटकारा पाना चाहती है क्योंकि अपनी नाकामी के कारण उसके पति ने अपने बेटे स्पेंसर के जन्म के बाद से परिवार की कोई वित्तीय मदद नहीं की है।

सोनिया ने अपनी पति की कीमत 25,000 डॉलर लगाई है। सोनिया ने वेबसाइट पर दिए गए विज्ञापन में लिखा है कि उनके पति कविता के माध्यम से एक भी पैसा नहीं कमा सके और यही कारण है कि वह उनसे छुटकारा पाना चाहती है।(source:हेराल्ड सन)

टाइट जींस वाली महिला का बलात्कार नामुमकिन


सिडनी की एक अदालत ने एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया। अदालत ने एक महिला के रेप के आरोपी को इसलिए छोड़ दिया क्योंकि अदालत का मानना है कि टाइट जींस पहनने वाल महिला का रेप करना असंभव है। न्यायाधीश ने अदालत में तर्क दिया कि चुस्त जींस पहनने वाली महिला के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध नहीं बनाया जा सकता इसलिए रेप असंभव है।

अदालत ने सरकारी वकील से सवाल किया कि क्या शरीर से चिपकी जींस पहनने वाली महिला के साथ बलात्कार किया जा सकता है? अदालत ने कहा ऐसा संभव नहीं है क्योंकि महिला की जींस तभी उतारी जा सकती है, जब उसकी मर्जी शामिल हो? अदालत ने यह तर्क रख कर एक 24 वर्षीय महिला के बलात्कार के आरोपी निकोलस एग्वीनो गोंजालेज को बरी कर दिया।

इस मामले की सुनवाई कर रही जूरी में छह पुरुष और छह महिला न्यायाधीशों शामिल थे। बलात्कार के आरोपी गोंजालेज ने कहा था कि उसने महिला की मर्जी से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया था। जबकि महिला ने अपने बयान में कहा था कि गोंजालेज ने उसके साथ जबरदस्ती की थी।(source:सिडनी मार्निग हेराल्ड)

घाटा बढ़ा रहें हैं वीआईपी उड़न खटोले



अकसर अति विशिष्ट व्यक्तियों (वीवीआईपी) को लाने ले जाने में बोइंग-747 विमानों के इस्तेमाल के कारण सरकारी एयरलाइनर नैसिल को भारी घाटा उठाना पड़ा है।

संसद की एक समिति ने अपने निष्कर्षों में यह खुलासा किया है। समिति ने कहा कि बी-747 विमानों का इस्तेमाल अकसर वीवीआईपी लोगों को लाने ले जाने में होता है। इन विमानों का बाजार मूल्य सैकड़ों करोड़ रुपए है।

परिवहन, संस्कृति एवं पर्यटन से संबद्ध सीताराम येचुरी की अध्यक्षता वाली समिति की हाल ही एक रिपोर्ट में कहा गया कि इन वीवीआईपी उड़ानों के लिए नैसिल को केवल परिचालन लागत के भुगतान की फिलहाल व्यवस्था है।

समिति ने सिफारिश की कि नैसिल को हुए कारोबार के नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए। नैसिल को भी सरकार से पूरी लागत वसूलनी चाहिए।

एक अन्य तथ्य का खुलासा करते हुए समिति ने कहा कि उसके संज्ञान में यह बात लाई गई है कि इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया को एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से विमान उतारने की अनुमति हासिल करने के लिए हवा में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है जबकि निजी एयरलाइनरों और विदेशी एयरलाइनरों को विमान उतारने (लैंडिंग) के लिए इस तरह इंतजार नहीं करना पड़ता ।

समिति ने कहा कि इससे नैसिल की ईंधन लागत में भारी इजाफा हुआ है। समिति ने कहा कि पिछले साल ही नैसिल पर इस मद में 300 करोड़ रुपए से अधिक का बोझ आया। (source:भाषा)

Friday, April 30, 2010

प्यार जताने के लिए जरूरी है चुम्बन


जब बात प्यार मोहब्बत की हो, तो चुंबन यानी किस को कैसे भूल सकते हैं? यह प्यार की कोमल भावन
ाओं को जताने का माध्यम ही नहीं बल्कि इंसान में हॉर्मोन्स का रिसाव भी करता है।

ऐसा नहीं है कि किस का नाम सुनकर सिर्फ पति-पत्नी और प्रेमी-प्रेमिका का ख्याल ही मन में आए बल्कि यह तो किसी भी रिश्ते में प्यार जताने के लिए जरूरी है।

मनोवैज्ञानिकों की मानें तो चुम्बन जहां दो विपरीत लिंगियों के बीच हॉर्मोन के रिसाव का काम करता है वहीं यह मां और बच्चों के बीच प्रेम एवं सुरक्षा की भावना प्रदर्शित करने का भी काम करता है।

ब्राजील, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में तो बाकायदा 28 अप्रैल के दिन चुंबन समारोहों का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने वाले जोड़े एक-दूसरे को सार्वजनिक रूप से चूमकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं। इन्हें भी पढ़ें
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इतना ही नहीं किस डे के मौके पर कई जगह तो चुंबन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है।

चुम्बन प्रेम प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम है। यह प्रेमी-प्रेमिकाओं और पति-पत्नी के बीच जहां प्यार को मजबूती देता है वहीं अन्य रिश्तों में भी संबंधों की गहराई तथा सुरक्षा की भावना प्रदर्शित करने का काम करता है।

अमेरिकी मनोविज्ञानी हैरी पीटरसन की पुस्तक में भी चुम्बन की विशेषताओं को बताया गया है। इसमें कहा गया है कि दो विपरीत लिंगियों के बीच चुम्बन हॉर्मोन के रिसाव का काम करता है जिससे दोनों के बीच संबंध और गहरे होते हैं। एक-दूसरे को चूमना इस बात का परिचायक है कि दोनों के बीच रिश्तों में जिन्दादिली और भावनाओं में गहराई है।
यदि माता-पिता अपने बच्चे को चूमते हैं तो इससे बच्चे के मन में सुरक्षा की भावना पैदा होती है और उनके प्रति उसके मन में सम्मान बढ़ता है। यदि छोटे बच्चे अपने मां-बाप को चूमते हैं तो इससे मां-बाप के चेहरों पर खुशी भरी एक अजीब सी चमक आ जाती है। इस तरह चुंबन माता-पिता और बच्चों के बीच रिश्तों की गहराई को मजबूत करने का एक सशक्त आधार भी है।

यदि प्रेम या दांपत्य संबंधों में बंधे युगल चुम्बन से दूर भागते हैं तो समझ लीजिए कि दोनों में एक-दूसरे के प्रति आकर्षण की कमी हो गई है। उन्होंने कहा कि पहला आकर्षण जहां नजरों के माध्यम से होता है वहीं चुम्बन इस आकर्षण को हमेशा कायम रखने का काम करता है।(स्रोत:नवभारत टाइम्स)

सेक्स से ज्यादा कम्पूटर से प्यार


बदलते वक्त ने ब्रिटेनवासियों की जरूरतें और सोच को पूरी तरह बदल दिया है। एक शोध से पता चला है क
ि अधिकतर ब्रिटेनवासी सेक्स की जगह ई-मेल को तरजीह देते हैं।

काम के बोझ से बेहाल ब्रिटेन के लोगों को खाली वक्त में अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड का साथ नहीं भाता। इसकी जगह वे ई-मेल चेक करने और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक में अपने पेज को अपडेट करना पसंद करते हैं।

खास बात यह है कि वयस्क ब्रिटेनवासी ये काम अपने बेडरूम में ही करना पसंद करते हैं। बेडरूम में अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड के साथ प्यार के लम्हे गुजारना उनकी सूची में छठे नंबर पर आता है।

शोध में ब्रिटेन के 4000 व्यस्क लोगों से बात की गई। सभी ने सेक्स को अपनी लिस्ट में काफी नीचे बताया। उनकी लिस्ट में सोना, पढ़ना, टीवी देखना, म्यूजिक सुनना और इंटरनेट पर मेल भेजना या चैट करना पहले आता है।

औसतन सात में से एक ब्रिटेनवासी ने कहा कि उसे अपने बिस्तर पर इंटरनेट का लुत्फ लेना या फिर पढ़ना पसंद है। महिलाओं को जहां बिस्तर पर लेटकर पढ़ना पसंद है वहीं पुरुषों को बिस्तर पर लेटे-लेटे टीवी देखना ज्यादा भाता है।

इस शोध के माध्यम से एक रोचक तथ्य सामने आया है। पुरुषों को बेडरूम के बजाय ड्राइंगरूम, बाथरूम, रसोई और बगीचे में सेक्स करना ज्यादा पसंद है।(स्रोत:नवभारत टाइम्स)

बीच में नहीं रुकेगा "भरपूर मज़ा "


एक ऐसी पिल लॉन्च होने वाली है, जो प्रिमच्योर इजेक्युलेशन (स्खलन) को रोकने में मदद करे
गी। यह दवाई इंटरकोर्स के एक से तीन घंटे पहले लेनी होगी। यह ब्रेन में सेराटॉनिन लेवल को बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे पुरुषों को सेक्स के दौरान अंतिम क्षणों पर कंट्रोल करना आसान होगा। यह दवाई (प्रिलीज़ी) तीन गुना ज्यादा देर तक सेक्स करने में असरदार साबित होगी।

हालांकि, यह पिल काफी महंगी है। इसके एक पैक (30mg की 3 टैबलेट्स)की कीमत 76 पाउंड (करीब 5 हज़ार रुपये)है। प्रिलीज़ी को 18 से 64 वर्ष तक के पुरुष इस्तेमाल कर सकते हैं। वैसे यह कुछ यूरोपीय देशों के बाजार में पहले ही आ चुकी है। खास बात यह है कि इसे केवल प्राइवेट प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर सिर्फ ऑनलाइन ही खरीदा जा सकता है।

इस पिल के वायग्रा से कहीं ज्यादा पॉप्युलर होने की उम्मीद है। करीब एक दशक पहले नपुंसकता के लिए आई वायग्रा का इस्तेमाल दुनिया भर में तकरीबन साढ़े तीन करोड़ लोग करते हैं। जहां नपुंसकता बाद में जाकर पुरुषों की लाइफ पर असर डालती है, वहीं प्रिमच्योर इजेक्युलेशन की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है।(स्रोत:नवभारत टाइम्स)

Tuesday, April 13, 2010


पैसा है हर बीमारी का इलाज


शोधकर्ताओं का कहना है कि दर्द को कम करने में पैसे का स्पर्श कारगर साबित हो सकता है। ऐसा करने से दर्द दूर भी हो सकता है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि जो लोग पैसे की गिनती करने के बाद इस अध्ययन में शामिल हुए उनमें दर्द का एहसास कम था और उन्होंने असुविधा भी कम महसूस की, जबकि पैसा न गिनने वालों में दर्द और असुविधा का एहसास ज्यादा था।एक वेबसाइट के मुताबिक नोट या सिक्कों को छूने या गिनने से लोगों को आत्मनिर्भरता का एहसास होता है और इससे उनका दर्द दूर होने में मदद मिलती है।मिन्नीसोटा विश्वविद्यालय के इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छात्रों से 80 हजार डॉलर की गिनती करने के लिए कहा था। इसके बाद इन छात्रों से उनके हाथों को गर्म पानी से भरे बर्तन में डालने के लिए कहा गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि जिन छात्रों ने नोटों की गिनती की थी उनके हाथों में गर्म पानी के संपर्क में आने पर कम दर्द हुआ।

हमारी लड़कियों जैसी हैं चीनी महिलाएं


चीन में ज्यादातर महिलाएं ऐसे पुरुषों से विवाह करना चाहती हैं, जिनके पास अपने माता-पिता की बड़ी सम्पत्ति हो।समाचार पत्र 'चाइना डेली' ने एक अध्ययन के हवाले से इस संबंध में खबर प्रकाशित की है। समाचार पत्र के मुताबिक कॉलेज जाने वाली चीन की 60 प्रतिशत लड़कियां धनी परिवारों के उन बेटों से विवाह करना चाहती हैं जो अपने माता-पिता की बड़ी सम्पत्तियों के वारिस हों।'वूमेंस फेडरेशन ऑफ गुआंगजौ' ने गुआंग्डोंग प्रांत में एक सर्वेक्षण किया था। सर्वेक्षण में पाया गया कि 59.2 प्रतिशत महिलाएं 80 के दशक में जन्मे पुरुषों से विवाह करने को प्राथमिकता देती हैं और 57.6 प्रतिशत महिलाएं अच्छी क्षमता वाले पुरुषों को अपना जीवनसाथी चुनना चाहती हैं।गुआंगजौ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर लियू शूकेन कहती हैं, "ज्यादातर कॉलेज छात्राएं कम व्यक्तिगत संघर्ष करते हुए एक आरामदायक जीवन जीना चाहती हैं।"साथी के विश्वासघात के संबंध में पूछे गए एक और सवाल के जवाब में 20 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे उनके साथियों द्वारा कभी-कभार की गई बेवफाई को बर्दाश्त कर सकती हैं।इस बीच केवल 10 प्रतिशत महिलाओं ने ही यह स्वीकार किया कि वह अपने जीवन में सिर्फ एक ही व्यक्ति के प्रति ईमानदार रहेंगी।सर्वेक्षण में जनवरी 2010 से मार्च 2010 तक 992 महिलाओं से साक्षात्कार किए गए। इस सर्वेक्षण के जरिए पारस्परिक संबंधों जैसे मुद्दों पर कॉलेज छात्राओं के मूल्यों का आकलन किया गया।

बीमार कर सकता है 'कैंडल लाइट डिनर'

किसी शांत जगह में अपनी महिला मित्र के साथ 'कैंडल लाइट डिनर' यानि मोमबत्ती की दूधिया रोशनी में शानदार भोजन भला किसे पसंद नहीं होगा। लेकिन शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि ऐसे रूमानी भोज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं!
BBCसाउथ कैरोलाइना स्टेट युनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने मोमबत्तियों से निकलने वाले धुएँ का परीक्षण किया है। उन्होंने पाया कि पैराफीन की मोमबत्तियों से निकलने वाले हानिकारक धुएँ का संबंध फेंफड़ें के कैंसर और दमे जैसी बीमारियों से है।हालाँकि शोधकर्ताओं ने ये भी माना कि मोमबत्ती से निकलने वाले धुएँ का स्वास्थ्य पर हानिकारक असर पड़ने में कई वर्ष लग सकते हैं।ब्रिटेन के विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान, मोटापा और शराब सेवन से कैंसर होने का खतरा ज्यादा है। विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि मोमबत्तियों के कभी-कभी इस्तेमाल से लोगों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।कौन है खतरे के दायरे में?मुख्य शोधकर्ता आमिद हमीदी का कहना है कि जो लोग पैराफीन मोमबत्तियों का ज्यदा इस्तेमाल करते हैं वो खतरे के दायरे में हैं। आमिर हमीदी ने स्थित अमेरिकन केमिकल सोसाइटी को बताया कि कभी-कभी मोमबत्तियों के इस्तेमाल से और उससे निकलने वाले धुएँ से ज्यदा असर नहीं होगा।उनका कहना था, 'यदि कोई व्यक्ति कई वर्षों तक हर रोज पैराफीन मोमबत्तियाँ जलाता है, खासकर ऐसे कमरे में जहाँ से हवा आने-जाने का प्रावधान नहीं है, तब समस्या हो सकती है।'मोमबत्ती से निकलने वाले धुएँ की जाँच पड़ताल के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में कई तरह की मोमबत्तियों को जलाया और उससे निकलने वाले पदार्थों को एकत्र किया।पैराफीन-आधारित मोमबत्तियों से निकलने वाले धुएँ के परीक्षण से पता चला कि उसके जलने से पैदा होने वाला ताप इतना तेज नहीं होता जिससे खतरनाक कण जैसे टॉल्युइन और बेंजीन पूरी तरह से जल पाएँ।वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्खी के छत्ते से निकले मोम या सॉया से बनने वाली मोमबत्तियाँ जब जलती हैं तो उनसे इतनी ज्यादामात्रा में रसायन नहीं निकलता और इसलिए वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि ऐसी ही मोमबत्तियों का इस्तेमाल किया जाए।सबूत : उधर ब्रिटेन स्थित कैंसर रिसर्च के डॉक्टर जोआना ओवेन्स कहती हैं कि ऐसा कोई सीधा सबूत नहीं मिला है जिससे कहा जा सके कि मोमबत्ती के रोज इस्तेमाल से कैंसर जैसी बीमारियाँ होने का खतरा हो सकता है।डॉक्टर ओवेन्स कहती हैं कि बंद कमरे में अगर सिगरेट पी जाए तो उससे प्रदूषण बढ़ता है और ये ज्यादा महत्वपूर्ण है। वो कहती हैं, 'जब हम कैंसर की बात करते हैं तो हमें पक्के सबूतों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। सिगरेट, शराब सेवन, मोटापा, खाने पीने की गलत आदतें, इन सब से कैंसर होने की संभावना ज्यदा होती है।'ब्रिटिश लंग फाउंडेशन के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉक्टर नोएमी आइजर कहती हैं कि पैराफीन मोमबत्ती के कभी-कभी इस्तेमाल से फेफड़ों को खतरा नहीं होना चाहिए, लेकिन लोगों को मोमबत्ती जलाते वक्त कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए जैसे कि मोमबत्तियाँ खुले हवादार कमरों में जलाई जाएँ।(बीबीसी से)

देखो शादी के हैं कितने फायदे




एक नए शोध के अनुसार विवाहित लोगों में कैंसर का सामना करने की संभावना अधिक होती है जबकि ऐसे लोगों के लिए कैंसर से बचना मुश्किल हो सकता है जिनकी शादी टूटने की स्थिति में है। अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय ने 1973 से 2004 के बीच 38 लाख कैंसर रोगियों के आँकड़ों का अध्ययन करने के बाद ये निष्कर्ष निकाला है।शोधकर्ताओं ने पाया कि शादीशुदा कैंसर रोगियों के लिए रोग होने के बाद पाँच साल तक जीवित रह पाने की संभावना 63 प्रतिशत होती है। लेकिन इसकी तुलना में ऐसे विवाहित लोगों के कैंसर से पाँच साल तक लड़ पाने की संभावना 45 प्रतिशत होती है जिनकी शादी टूटने के कगार पर है।विज्ञान जर्नल कैंसर में प्रकाशित होनेवाली शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि संभवतः शादी टूटने के तनाव के कारण रोगियों के कैंसर से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।इसके पूर्व भी शादी और स्वास्थ्य को लेकर अध्ययन किए गए हैं। इनमें कई अध्ययनों में पाया गया है कि जीवनसंगी का प्रेम और साथ रोग से लड़ने के लिए बहुत आवश्यक होता है।शोध : शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के दौरान विवाहित, अविवाहित, विधवा-विधुर, तलाकशुदा और शादी टूटने की स्थिति वाले कैंसर रोगियों के बारे में अध्ययन किया और ये पता लगाने का प्रयास किया कि इनमें से कितने लोग कैंसर के बाद पाँच से 10 साल तक जीवित रह पाते हैं।उन्होंने पाया कि विवाहित और अविवाहित रोगियों के कैंसर से लड़ पाने की संभावना सबसे अधिक रही। उनके बाद तलाकशुदा और विधवा-विधुर रोगियों का स्थान आता है।इस शोध की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर ग्वेन स्प्रेन ने कहा कि इस अध्ययन से ये पता चलता है कि कैंसर रोगियों में ऐसे लोगों पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए जिनकी शादी टूटने वाली है।उन्होंने कहा, 'इलाज के दौरान रिश्तों के कारण होनेवाले तनाव की पहचान करने से चिकित्सक और पहले हस्तक्षेप कर सकेंगे जिससे कि रोगियों के बचने की संभावना बेहतर हो सकती है।' मगर उन्होंने कहा कि इस दिशा में और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।ब्रिटेन की संस्था कैंसर रिसर्च के प्रमुख सूचना अधिकारी ने भी कहा है कि इस शोध के निष्कर्ष को अंतिम निष्कर्ष नहीं समझा जाना चाहिए और शादी टूटने की स्थिति वाले रोगियों के कैंसर से लड़ पाने की क्षमता कम होने के और भी कई कारण हो सकते हैं। ( बीबीसी से)

आखिर एवरेस्ट को नाप ही लिया




दुनिया की सबसे ऊँची चोटी मानी जाने वाली एवरेस्ट की ऊँचाई पर पिछले काफी समय से चल रहे विवाद के समाधान के लिए नेपाल और चीन सहमत हो गए हैं।दोनों देश अब इस बात पर सहमत हैं कि एवरेस्ट की ऊँचाई 8,848 मीटर मानी जाएगी. नेपाल और चीन की सीमाएँ इस पर्वत श्रृंखला से लगी हुई हैं।इस मसले पर चीन पहले कहता रहा है कि इसकी ऊँचाई चट्टानों को आधार बनाकर नापी जाए जबकि नेपाल का कहना था कि इसे चट्टानों पर जमीं बर्फ के आधार पर नापी जाए।भारतीय सर्वेक्षण : नेपाल के नजरिए से एवरेस्ट की ऊँचाई चार मीटर अधिक हो रही थी। नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुई बातचीत में चीन ने इस बात को स्वीकार कर लिया। इसका मतलब यह हुआ कि अब एवरेस्ट की आधिकारिक ऊँचाई 8,848 मीटर मानी जाएगी।संवाददाताओं का कहना है कि 1953 में तेनजिंग शेरपा और सर एडमंड हिलेरी के पहली बार एवरेस्ट फतह करने के बाद से हजारों लोग वहाँ पहुँच चुके हैं।एवरेस्ट की ऊँचाई पहली बार 1956 में मापी गई थी, लेकिन उसकी ऊँचाई को लेकर तभी से विवाद बना हुआ था। एक भारतीय सर्वेक्षण ने 1955 में पहली बार एवरेस्ट की ऊँचाई 8,848 मीटर मापी थी जिसे आज तक मोटे तौर पर माना जाता था।भारतीय सर्वेक्षण ने ऊँचाई को चोटी की चट्टानों की जगह उसपर पड़ी बर्फ से मापा था। लेकिन भूवैज्ञानिकों का कहना है कि एवरेस्ट की ऊँचाई को लेकर दोनों देशों के अनुमान गलत हो सकते हैं।उनका कहना है कि महाद्वीपीय प्लेटों के स्थानांतरण के कराण भारत ने चीन-नेपाल को नीचे की ओर धकेल दिया है। इससे पर्वत और ऊँचा हो गया है।एक अमेरिकी दल ने 1999 में जीपीएस तकनीकी का उपयोग करते हुए एवरेस्ट की ऊँचाई 8,850 मीटर दर्ज की थी जिसे अमेरिका का नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी भी मानती है। हालाँकि नेपाल इसे आधिकारिक मान्यता नहीं देता है। (बीबीसी से )

बिना ऑक्सीजन के जीने वाले जीव




वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसे जीवों की खोज की है जो बिना ऑक्सीजन के जी सकते हैं और प्रजनन कर सकते हैं। ये जीव भूमध्यसागर के तल पर मिले हैं।इटली के मार्श पॉलीटेकनिक विश्वविद्यालय में कार्यरत रॉबर्तो दोनोवारो और उनके दल ने इन कवचधारी जीवों की तीन नई प्रजातियों की खोज की है। दोनोवारो ने बीबीसी को बताया कि इन जीवों का आकार करीब एक मिलीमीटर है और ये देखने में कवच युक्त जेलीफ़िश जैसे लगते हैं।प्रोफेसर रॉबर्तो दोनोवारो ने कहा, 'ये गूढ़ रहस्य ही है कि ये जीव बिना ऑक्सीजन के कैसे जी रहे हैं क्योंकि अब तक हम यही जानते थे कि केवल बैक्टीरिया ऑक्सीजन के बिना जी सकते हैं।'भूमध्यसागर की ला अटलांटा घाटी की तलछट में जीवों की खोज करने के लिए पिछले एक दशक में तीन समुद्री अभियान हुए हैं। इसी दौरान इन नन्हे कवचधारी जीवों की खोज हुई।यह घाटी क्रीट द्वीप के पश्चिमी तट से करीब 200 किलोमीटर दूर भूमध्यसागर के भीतर साढ़े तीन किलोमीटर की गहराई में है, जहाँ ऑक्सीजन बिल्कुल नहीं है।नए जीवों के अंडे : प्रोफेसर दानोवारो ने बीबीसी को बताया कि इससे पहले भी बिना ऑक्सीजन वाले क्षेत्र से निकाले गए तलछट में बहुकोशिकीय जीव मिले हैं लेकिन तब ये माना गया कि ये उन जीवों के अवशेष हैं जो पास के ऑक्सीजन युक्त क्षेत्र से वहाँ आकर डूब गए।प्रोफ़ैसर दानोवारो ने कहा, 'हमारे दल ने ला अटलांटा में तीन जीवित प्रजातियाँ पाईं जिनमें से दो के भीतर अंडे भी थे।'हालाँकि इन्हें जीवित बाहर लाना संभव नहीं था लेकिन टीम ने जहाज पर ऑक्सीजन रहित परिस्थितियाँ तैयार करके अंडो को सेने की प्रक्रिया पूरी की। उल्लेखनीय है कि इस ऑक्सीजन रहित वातावरण में इन अंडों से जीव भी निकले।दानोवारो ने कहा, 'यह खोज इस बात का प्रमाण है कि जीव में अपने पर्यावरण के साथ समायोजन करने की असीम क्षमता होती है।'उन्होंने कहा कि दुनिया भर के समुद्रों में मृत क्षेत्र फैलते जा रहे हैं जहाँ भारी मात्रा में नमक है और ऑक्सीजन नहीं है।स्क्रिप्स इंस्टिट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी की लीसा लेविन कहती हैं, 'अभी तक किसी ने ऐसे जीव नहीं खोजे जो बिना ऑक्सीजन के जी सकते हों और प्रजनन कर सकते हों।'उन्होंने कहा कि पृथ्वी के समुद्रों के इन कठोर परिवेशों में जाकर और अध्ययन करने की जरूरत है। इन जीवों की खोज के बाद लगता है कि अन्य ग्रहों पर भी किसी रूप में जीवन हो सकता है जहाँ का वातावरण हमारी पृथ्वी से भिन्न है।(बीबीसी से )