Tuesday, June 28, 2011

एशिया में जन्म लेगा सात अरबवां बच्चा !

दुनिया की आबादी सात अरब होने वाली है। 31 अक्टूबर को सात अरबवां बच्चा पैदा होगा। अब चर्चा इस बात पर हो रही है कि यह बच्चा किस देश में पैदा होगा। एशियाई देश संभावितों में सबसे आगे हैं, लेकिन इसके असर बहुत बड़े हैं। संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या डिविजन ने अनुमान लगाया है कि 31 अक्टूबर को यह ऐतिहासिक बच्चा पैदा होगा और  यह बच्चा एशिया में पैदा हो सकता है।
              सात अरबवां बच्चा पैदा होना दुनिया की जनसंख्या में हो रहे बड़े बदलावों की ओर इशारा करता है। 1960 के बाद से आबादी दोगुनी हो चुकी है। और सिर्फ 11 साल पहले पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने बोस्निया के सरायेवो में छह अरबवें बच्चे का स्वागत किया था। यह बच्चा 12 अक्तूबर 1999 को पैदा हुआ था। विशेषज्ञों का कहना है कि इंसानी आबादी, खासतौर पर शहरों में, इतनी तेजी से पहले कभी नहीं बढ़ी। लेकिन शहरी आबादी में विस्फोट के साथ बड़ी समस्याएं भी पैदा होंगी। झुग्गी बस्तियों का आकार बढ़ेगा। अपराधों में इजाफा होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर कम पड़ने लगेगा।(स्त्रोत:डायचे वेले)











सबसे ज्यादा तनाव में रहती हैं भारतीय महिलाएं

दुनिया भर में महिलाएं इस वक्त खुद को बेहद तनाव और दबाव में महसूस करती हैं। यह समस्या आर्थिक तौर पर उभरते हुए देशों में ज्यादा दिख रही है। एक सर्वे में भारतीय महिलाओं ने खुद को सबसे ज्यादा तनाव में बताया। 21 विकसित और उभरते हुए देशों में कराए गए नीलसन सर्वे में सामने आया कि तेजी से उभरते हुए देशों में महिलाएं बेहद दबाव में हैं, लेकिन उन्हें आर्थिक स्थिरता और अपनी बेटियों के लिए शिक्षा के बेहतर अवसर मिलने की उम्मीद भी दूसरों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। सर्वे में 87 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने कहा कि ज्यादातर समय वे तनाव में रहती हैं और 82 फीसदी का कहना है कि उनके पास आराम करने के लिए वक्त नहीं होता। हालांकि तनाव में रहने के बावजूद इस बात की काफी संभावना है कि भारतीय महिलाएं आने वाले पांच साल के दौरान अपने ऊपर ज्यादा खर्च करेंगी। 96 प्रतिशत का कहना है कि वे कपड़े खरीदेंगी जबकि 77 फीसदी कहती हैं कि वे सेहत और सुंदरता से जुड़े उत्पादों पर जेब ढीली करेंगी। वहीं 44 फीसदी महिलाएं घर में बिजली से चलने वाली चीजें लाना चाहती हैं।
          तनाव और समय न होने के मामले में मेक्सिको की महिलाएं दूसरे नंबर पर हैं। वहां 74 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से दो चार हैं। इसके बाद रूस में 69 प्रतिशत महिलाएं तनाव झेल रही हैं। सर्वे के मुताबिक इस तनाव के लिए एक हद तक सामाजिक बदलाव भी जिम्मेदार हैं। वहीं विकसित देशों में स्पेन में सबसे ज्यादा 66 प्रतिशत महिलाएं तनाव की शिकार हैं। इसके बाद फ्रांस में 65 प्रतिशत और अमेरिका में 53 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या से जूझ रही हैं। इस सर्वे में 6,500 महिलाओं ने हिस्सा लिया जो फरवरी से अप्रैल के बीच तुर्की, रूस, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, चीन, थाइलैंड, भारत, मलेशिया, मेक्सिको, ब्राजील, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, स्वीडन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया में कराया गया।(स्त्रोत:डायचे वेले)



कामचोर तो नहीं हैं आपके कर्मचारी!

एक अदद आलसी कर्मचारी बड़े से बड़े संस्थान को 'पंगु' बना सकता है। आस्ट्रेलियन स्कूल आफ बिजनेस के शोधकर्ताओं ने 158 छात्रों की टीम बनाई और फिर उनके कामों एवं परिणामों का अलग-अलग अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि एक आलसी कर्मचारी अपनी पूरी टीम के काम को काफी हद बेकार कर सकता है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले बेंजामिन वाकर ने कहा कि यह शोध इस ओर इशारा करता है कि एक आलसी व्यक्ति अपनी पूरी टीम को पतन की ओर ले जाता है। इसका काम पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसमें पाया गया कि अगर टीम का कोई सदस्य कम काम करता है तो इसका भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। वाकर ने कहा कि अगर पूरी टीम अपनी ओर से पूरी मेहनत करे तो भी एक आलसी कर्मचारी के काम की भरपाई नहीं की जा सकती (स्त्रोत:जागरण न्यूज़)