Friday, August 6, 2010

ऐसे होते हैं अरबपति...

अमरीका के 38 अरबपतियों ने कहा है कि वे अपनी कुल संपत्ति का 50 फ़ीसदी हिस्सा दान में देंगे. ये अभियान माइक्रसॉफ़्ट के संस्थापक बिल गेट्स और निवेशक वॉरन बफ़ेट ने शुरु किया है.अरबपतियों में न्यूयॉर्क के मेयर माइकल ब्लूमबर्ग, सीएनएन के संस्थापक टेड टर्नर और अधिकारी बैरी डिलर शामिल है.
‘द गिविंग प्लेज’ (The giving pledge) नाम के इस अभियान में उन सब परिवारों और व्यक्तियों के नाम हैं जिन्होंने योजना के प्रति वचनबद्धता दिखाई है.
इसकी वेबसाइट पर लिखा गया है कि ये एक नैतिक वचनबद्धता है न कि क़ानूनी अनुबंध. अभियान जून में शुरु किया गया था जिसके तहत अमरीकी अरबपतियों को ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि वो कम से कम 50 फ़ीसदी संपत्ति दान में दें- चाहे ज़िंदा रहते हुए या मौत के बाद. जाने माने निवेशक और बर्कशायर हैथवे के मुख्य कार्यकारी वॉरन बफ़ेट ने एक बयान में कहा है कि काम अभी शुरु ही हुआ है लेकिन अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. लोग चैरिटी के लिए पैसा देना चाहते हैं उन्हें सार्वजनिक स्तर पर ये बात स्पष्ट करनी होगी.

फ़िल्म निर्माता जॉर्ज लूकस और तेल निवेशक टी बून पिक्नस ने भी काफ़ी पैसा देने की घोषणा की है.द गिविंग प्लेज अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि कई व्यक्तियों ने अपनी 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा संपत्ति देने का फ़ैसला किया है. वॉरन बफ़ेट, बिल गेट्स और उनकी पत्नी मलिंडा ने पिछले दो वर्षों में कई अमरीकी अरबपतियों से बात की है ताकि इस अभियान को आगे बढ़ाया जा सके. वॉरन बफ़ेट ने 2006 में अपनी 99 फ़ीसदी धनराशि बिल और मलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन को देने की घोषणा की थी.  फ़ॉर्ब्स पत्रिका ने मार्च में लिखा था कि वॉनर बफ़ेट की कुल संपत्ति 47 अरब डॉलर की है. जबकि दुनिया के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति बिल गेट्स अपने फ़ाउंडेशन को 28 अरब डॉलर से ज़्यादा दे चुके हैं. फ़ॉर्ब्स के मुताबिक अमरीका में 430 अरबपति हैं.(बीबीसी से साभार)

मंगेतर से फोन पर बात करना भी हराम

नई दिल्ली। दारूल उलूम देवबंद ने अपने नए फतवे में कहा है कि सगाई के बाद मंगेतर से बिना किसी वैध कारण के फोन पर बात करना इस्लाम में प्रतिबंधित है। दारूल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर सामाजिक मामलों के निकाह संबंधी प्रश्न क्रमांक 24557 में इस बारे में फतवा दिया गया है।
देवबंद से प्रश्न पूछा गया है कि क्या रिंग सेरेमनी, जिसे हम सगाई कहते हैं, के बाद कोई व्यक्ति अपनी मंगेतर से फोन पर बात कर सकता है, अगर उनके अभिभावकों ने इस बारे में पहले से अनुमति दी हुई है और उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, जबकि दोनों अलग-अलग परिवारों से हैं। इसका जवाब है कि पहले मंगेतर किसी अजनबी की तरह होती है। उससे बिना किसी कारण फोन पर बात करना वैध नहीं है। फतवे के मुताबिक इस बारे में अनुमति देने वाले अभिभावक कौन होते हैं, जब इस्लाम ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। दु:ख की बात है कि अभिभावकों ने इसकी अनुमति दी है।( दैनिक भास्कर से साभार)