Friday, September 24, 2010

क्या फेसबुक का आईडिया भी चोरी का है..?

सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आधारित फिल्म अगले सप्ताह सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है जिसमें कंपनी के संस्थापक पर आइडिया चोरी करने का आरोप लगाया है।
द सोशल नेटवर्क नामक यह फिल्म न्यूयार्क के फिल्मोत्सव में आज प्रदर्शित होगी और सोनी पिक्चर्स उसे एक अक्टूबर को व्यापक रूप से रिलीज करेगा।
सूत्रों के अनुसार इस फिल्म में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में उनके सहपाठी के बीच ईष्र्यापूर्ण संघर्ष को दिखाया गया है कि इस सोशल नेटवर्किंग साइट की स्थापना के लिए किसे श्रेय दिया जाए।
रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के अधिकारियों को चिंता है कि इस फिल्म से जुकरबर्ग की छवि धूमिल होगी और उन्होंने इसी ख्याल से फिल्म में बदलाव के लिए फिल्म निर्माता पर दबाव भी डाला था। लेकिन फिल्म निर्माता ने उनकी बात नहीं मानी। छह साल पहले हार्वर्ड से फेसबुक की स्थापना करने वाले जुकरबर्ग (26) आज दुनिया में सबसे कम उम्र के अरबपतियों में शुमार हैं।(सौजन्य:मेरी खबर डॉट काम)

अंतरिक्ष पर मानव के कदम की स्वर्ण जयंती



"यह एक इंसान का एक क़दम है, मानवजाति के लिए एक लंबी छलांग." नील आर्मस्ट्रांग उस समय 39 साल के भी नहीं हुए थे. दो साल बाद नासा से रिटायर करने के बाद वे सिनसिनाटी युनिवर्सिटी में लगभग दस साल तक एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ाते रहे. साथ ही वे लीअर जेट, युनाइटेड एअरलाइंस या मैराथन ऑयल जैसी कई कंपनियों के निर्देशक मंडल के सदस्य थे.
नील आर्मस्ट्रांग इतने मशहूर होने के बावजूद विनम्र हैं. वे सार्वजनिक जीवन में सामने आने से कतराते हैं. सन 2005 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चांद पर उतरने वाले पहले इंसान के रूप में उन पर इतना ध्यान नहीं देना चाहिए. दरअसल उन्हें पहले व्यक्ति के रूप में नहीं चुना गया था. परिस्थितियों के कारण वे पहले व्यक्ति बन गए. 

अमेरिका के प्रदेश ओहायो के वापाकोनेटा में 5 अगस्त 1930 को नील आर्मस्ट्रांग का जन्म हुआ. बचपन से ही उन्हें हवाई उड़ान से लगाव था और एक किशोर के रूप में वे पास के एक हवाई अड्डे में काम करते रहे.
15 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने पायलट की ट्रेनिंग शुरू की और अपने 16वें जन्मदिन को ही उन्हें पायलट का लाइसेंस मिल चुका था. फिर वे नौसेना में शामिल हुए और कोरियाई युद्ध के दौरान उन्होंने 78 उड़ानें भरी. युद्ध के बाद उन्होंने परडु युनिवर्सिटी में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और उसके बाद दक्षिण कैलिफ़ोर्निया युनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमएससी की पढ़ाई की. सन 1955 में वे कैलिफ़ोर्निया के एडवर्डस् एयरफोर्स बेस में टेस्ट पायलट बने, जहां उन्हें 50 अलग-अलग प्रकार के हवाई जहाज़ों में उड़ान भरने का मौका मिला.

सात साल बाद 1962 में वो टेक्सास के युस्टन में नासा के प्रशिक्षण केंद्र में अंतरिक्ष यात्री के रूप में ट्रेनिंग के लिए चुने गए. 1966 में उन्हें पहली अंतरिक्ष उड़ान का मौका मिला जब वे डेविड स्कॉट के साथ जेमिनी 8 मिशन में शामिल हुए. फिर आया 20 जुलाई 1969 का वह दिन, जब चांद की धरती से उनकी आवाज़ सुनने को मिली.
"यह एक इंसान का एक क़दम है, मानवजाति के लिए एक लंबी छलांग." नील आर्मस्ट्रांग उस समय 39 साल के भी नहीं हुए थे. दो साल बाद नासा से रिटायर करने के बाद वे सिनसिनाटी युनिवर्सिटी में लगभग दस साल तक एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पढ़ाते रहे. साथ ही वे लीअर जेट, युनाइटेड एअरलाइंस या मैराथन ऑयल जैसी कई कंपनियों के निर्देशक मंडल के सदस्य थे.
नील आर्मस्ट्रांग इतने मशहूर होने के बावजूद विनम्र हैं. वे सार्वजनिक जीवन में सामने आने से कतराते हैं. सन 2005 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि चांद पर उतरने वाले पहले इंसान के रूप में उन पर इतना ध्यान नहीं देना चाहिए. दरअसल उन्हें पहले व्यक्ति के रूप में नहीं चुना गया था. परिस्थितियों के कारण वे पहले व्यक्ति बन गए.(सौजन्य:जागरण डॉट काम )