Tuesday, April 13, 2010
बीमार कर सकता है 'कैंडल लाइट डिनर'
किसी शांत जगह में अपनी महिला मित्र के साथ 'कैंडल लाइट डिनर' यानि मोमबत्ती की दूधिया रोशनी में शानदार भोजन भला किसे पसंद नहीं होगा। लेकिन शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि ऐसे रूमानी भोज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं!
BBCसाउथ कैरोलाइना स्टेट युनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने मोमबत्तियों से निकलने वाले धुएँ का परीक्षण किया है। उन्होंने पाया कि पैराफीन की मोमबत्तियों से निकलने वाले हानिकारक धुएँ का संबंध फेंफड़ें के कैंसर और दमे जैसी बीमारियों से है।हालाँकि शोधकर्ताओं ने ये भी माना कि मोमबत्ती से निकलने वाले धुएँ का स्वास्थ्य पर हानिकारक असर पड़ने में कई वर्ष लग सकते हैं।ब्रिटेन के विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान, मोटापा और शराब सेवन से कैंसर होने का खतरा ज्यादा है। विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि मोमबत्तियों के कभी-कभी इस्तेमाल से लोगों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।कौन है खतरे के दायरे में?मुख्य शोधकर्ता आमिद हमीदी का कहना है कि जो लोग पैराफीन मोमबत्तियों का ज्यदा इस्तेमाल करते हैं वो खतरे के दायरे में हैं। आमिर हमीदी ने स्थित अमेरिकन केमिकल सोसाइटी को बताया कि कभी-कभी मोमबत्तियों के इस्तेमाल से और उससे निकलने वाले धुएँ से ज्यदा असर नहीं होगा।उनका कहना था, 'यदि कोई व्यक्ति कई वर्षों तक हर रोज पैराफीन मोमबत्तियाँ जलाता है, खासकर ऐसे कमरे में जहाँ से हवा आने-जाने का प्रावधान नहीं है, तब समस्या हो सकती है।'मोमबत्ती से निकलने वाले धुएँ की जाँच पड़ताल के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में कई तरह की मोमबत्तियों को जलाया और उससे निकलने वाले पदार्थों को एकत्र किया।पैराफीन-आधारित मोमबत्तियों से निकलने वाले धुएँ के परीक्षण से पता चला कि उसके जलने से पैदा होने वाला ताप इतना तेज नहीं होता जिससे खतरनाक कण जैसे टॉल्युइन और बेंजीन पूरी तरह से जल पाएँ।वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्खी के छत्ते से निकले मोम या सॉया से बनने वाली मोमबत्तियाँ जब जलती हैं तो उनसे इतनी ज्यादामात्रा में रसायन नहीं निकलता और इसलिए वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि ऐसी ही मोमबत्तियों का इस्तेमाल किया जाए।सबूत : उधर ब्रिटेन स्थित कैंसर रिसर्च के डॉक्टर जोआना ओवेन्स कहती हैं कि ऐसा कोई सीधा सबूत नहीं मिला है जिससे कहा जा सके कि मोमबत्ती के रोज इस्तेमाल से कैंसर जैसी बीमारियाँ होने का खतरा हो सकता है।डॉक्टर ओवेन्स कहती हैं कि बंद कमरे में अगर सिगरेट पी जाए तो उससे प्रदूषण बढ़ता है और ये ज्यादा महत्वपूर्ण है। वो कहती हैं, 'जब हम कैंसर की बात करते हैं तो हमें पक्के सबूतों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। सिगरेट, शराब सेवन, मोटापा, खाने पीने की गलत आदतें, इन सब से कैंसर होने की संभावना ज्यदा होती है।'ब्रिटिश लंग फाउंडेशन के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉक्टर नोएमी आइजर कहती हैं कि पैराफीन मोमबत्ती के कभी-कभी इस्तेमाल से फेफड़ों को खतरा नहीं होना चाहिए, लेकिन लोगों को मोमबत्ती जलाते वक्त कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए जैसे कि मोमबत्तियाँ खुले हवादार कमरों में जलाई जाएँ।(बीबीसी से)
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