Tuesday, July 22, 2008

सागर की बेटी का आसमान छूने का जज्बा

Jul 22, 11:53 am
भोपाल। मध्यप्रदेश के सागर जिले की पारुल साहू ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलि मंजारो पर चढ़कर एक नया इतिहास रच दिया है। पारुल हर उस चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराना चाहती है जो देश की शान में इजाफा करने वाला हो। पारुल के लिए असंभव को संभव बनाना ही जीवन का लक्ष्य है।
पद्मश्री बछेंद्री पाल के नेतृत्व में इंडो-अफ्रीका के संयुक्त दल ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलि मंजारो पर चढ़ने का अभियान शुरू किया तो बहुत कम लोगों को भरोसा था कि यह दल अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल हो पाएगा।
19,340 फुट ऊंची चोटी पर इस दल के पहुंचने को लेकर अफ्रीकी विशेषज्ञ भी संशय में थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस चोटी पर चढ़ना आसान नहीं है। इसकी वजह इस पहाड़ की चोटी का एकदम सीधा होना भी है।
सागर के व्यवसायी संतोष साहू की बेटी पारुल साहू बताती है कि उनके दल में कुल दस सदस्य थे। इनमें नौ भारतीय और एक अफ्रीकी महिला शामिल थी। जब यह दल लगभग 18 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंचा तो आक्सीजन की कमी के चलते दो सदस्य बेहोश हो गए। इन स्थितियों में उनके दल को भी अपनी सफलता संदिग्ध नजर आने लगी, मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
बछेंद्री पाल के निर्देश पर दल दो हिस्सों में विभक्त हो गया। आखिर में उनके दल ने 28 जून को माउंट किलि मंजारो पर भारतीय तिरंगा फहराने में सफलता हासिल कर ली।
पारुल बताती है कि यह अभियान उनके दल के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण था क्योंकि इस चोटी पर चढ़ना कठिन माना जाता है और महिलाओं के वहां तक पहुंचने की कम ही लोग कल्पना करते थे। जब उनका दल चोटी पर पहुंचा तो वहां का तापमान शून्य से 20 डिग्री कम था। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और आक्सीजन की कमी भी उनके जज्बे को रोक नहीं पाई।
पारुल अब तक माउंट खेलू, सियाचीन ग्लेशियर, केदार डूम, सहित आधा दर्जन पर्वत श्रृंखलाओं पर फतह हासिल कर चुकी है। उनका सपना एवरेस्ट पर सफलता पाने का है। पारुल ने 9 मार्च को नीरज केशरवानी के साथ दांपत्य जीवन में प्रवेश किया था और एक माह बाद ही वे अपने अभियान पर निकल पड़ी थीं। उनके पति और सास ने उन्हें शुभकामनाओं के साथ अभियान पर भेजा और पारुल उसमें सफल होकर अपनी ससुराल भोपाल लौटी है। (साभार जागरण)

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