Tuesday, August 5, 2008

रुद्राक्ष के प्रकार


रुद्राक्ष एक फल की गुठली है। इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है।
रुद्राक्ष के नाम और उनका स्वरूप -
एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर,त्रिमुखी तेजोमय अग्नि,
चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, रहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष- ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।
द्विमुखी रुद्राक्ष- सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है।
त्रिमुखी रुद्राक्ष- ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है।
चतुर्थमुखी रुद्राक्ष- धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष- सुख प्रदान करने वाला।
षष्ठमुखी रुद्राक्ष- पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।
सप्तमुखी रुद्राक्ष- दरिद्रता को दूर करने वाला होता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष- आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। नवममुखी रुद्राक्ष- मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है।
दसमुखी रुद्राक्ष- शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष- विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष- धन प्राप्ति कराता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष- शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष- संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।

1 comment:

sanjeev persai said...

new bussiness hai kya
word varification hata do bahut hi ganda lagta hai koi comment nahi dalega